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हर गली-चौराहे पर चर्चा उच्च न्यायालय से आए एक फरमान के बाद मोरवा के विस्थापितों के बीच सनाका खिंच गया है

  • दूसरे की जमीन पर सहमति लेकर मुआवजे की आस से बनाए गये हैं मकान

गत दिनों माननीय उच्च न्यायालय से आए एक फरमान के बाद मोरवा के विस्थापितों के बीच सनाका खिंच गया है। जिसमें बिना बैनामा वाली भूमि पर नमकान बनाकर महज एग्रीमेंट के आधार पर मुआवजा लेने के मामले में न्यायमूर्ति ने जिला कलेक्टर को एफआईआर कराने तक की चेतावनी दे दी।

हालांकि यह मामला ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन परियोजना से प्रभावित व्यक्ति से संबंधित था लेकिन सीबीएक्ट के तहत एनसीएल की दुधिचुआ और जयंत परियोजना के विस्तार को लेकर भी इसी प्रकार की प्रक्रिया अपनायी गयी है। जिसके लिए जिला कलेक्टर और सीएमडी के अधिकारों के तहत मुआवजा प्राप्त करने कसकी उम्मीद है। इसके लिए दूसरे की जमीन पर एग्रीमेंट कर लाखों की लागत से मकान बनाए गये हैं। मोरवा की सरकारी, ननि की जमीनों के अलावा भी निजी जमीनों पर भी आपसी सहमति से निर्माण किए गये हैं। ऐसे मामलों में उच्च न्यायालय के इस फैसले को जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें न्यायमूर्ति के द्वारा जिला कलेक्टर को चेतावनी दी गई है। जिले में भारी मात्रा में भ्रष्टाचार होने की आशंका भी जताई है। एनसीएल हर दूसरे दिन इस संबंध में सूचना प्रकाशित कर अनियमितता के जरिए मुआवजा हासिल करने वालों को हतोत्साहित किया जा रहा है।

यह फैसला ऐसे समय पर आया है, जब मोरवा में सर्वेक्षण कार्य किया जा रहा है और कई टीमें घर-घर जाकर सर्वे कर रही है। उम्मीद यह भी लगायी जा रही है कि आने वाले अप्रैल महीने में मुआवजा वितरण का शुरू किया जा सकता है। हर गली-चौराहे में मुआवजे के लिए इस मामले को जोड़कर देखा जा रहा है। जिसमें भूमि स्वामी के द्वारा किए गये किसी भी अनुबंध को इसलिए महत्वहीन कर दिया गया है, क्योंकि वही अब तक भूमि का स्वामी है जो अभिलेखों में दर्ज है।

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