Modi Sarkar 2.0 में बढ़ी बीजेपी की चुनौती, केवल इन राज्यों में वापसी कर पाई है पार्टी

PM-Modi-Amit-Shah-JP-Nadda

Assembly Elections 2022: उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में चुनावी गहमागहमी अब चरम पर पहुंच गई है. उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही लोगों में चुनाव को लेकर खुसर—फुसर शुरू हो गई है. हालांकि रैली पर चुनाव आयोग की रोक के चलते अभी कार्यकर्ताओं में उस तरह का जोश नहीं भर पाया है, जो आम तौर पर चुनावों के समय होता है. 22 जुलाई तक चुनाव आयोग ने रैलियों पर रोक लगा रखी है. अगर 22 जनवरी को चुनाव आयोग रैलियों के लिए छूट दे देता है तो चुनावी अभियान अपने चरम पर पहुंच जाएगा. उत्तर प्रदेश में बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे और योगी आदित्यनाथ के काम पर चुनाव लड़ रही है. इसी तरह उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी, गोवा में प्रमोद सावंत और मणिपुर में एन बीरेन सिंह के काम पर चुनाव लड़ा जा रहा है. पंजाब में बीजेपी ने मुख्यमंत्री का चेहरा आगे नहीं किया है और वहां उसे कोई उम्मीद भी इस बार नहीं दिख रही है. खास बात यह है कि 2019 में मोदी सरकार 2.0 बनने के बाद से बीजेपी को कई राज्यों में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है.

खबर में खास
  • महाराष्ट्र में शिवसेना ने दिया जोर का झटका
  • किसी तरह बनी मनोहर लाल की सरकार
  • झारखंड में रघुवर दास नहीं कर सके कमाल
  • आंध्र में खाता भी नहीं खुल पाया बीजेपी का
  • अरुणाचल प्रदेश में खिल गया था कमल
  • ओडिशा में नवीन पटनायक का जादू बरकरार
  • सिक्किम में न बीजेपी और न ही कांग्रेस
  • बिहार में सबसे अच्छा प्रदर्शन फिर भी सीएम नहीं
  • बीजेपी के लिए दिल्ली में केजरीवाल बने पहेली
  • बंगाल में चल गया ममता दीदी का जादू
  • असम को बचा ले गई मोदी और शाह की जोड़ी
  • केरल और तमिलनाडु में बीजेपी न के बराबर
  • यूपी समेत 5 राज्यों में देखना होगा करिश्मा
महाराष्ट्र में शिवसेना ने दिया जोर का झटका

2019 में मोदी सरकार बनने के तुरंत बाद 7 राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए थे. इनमें महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम शामिल थे. महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए थे. महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. उसकी उस समय की गठबंधन सहयोगी शिवसेना केा 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. बाकी सीटें अन्य के खाते में गई थीं. उस समय शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया और एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी की सरकार बना ली.

किसी तरह बनी मनोहर लाल की सरकार

वहीं हरियाणा की बात करें तो वहां 90 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर तो उभरी लेकिन सत्ता की चाबी जननायक जनता पार्टी के पास चली गई, जिसे 10 सीटें हासिल हुई थीं. 31 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी थी. बाकी सीटें अन्य के खाते में गई थी. यहां सरकार बनाने के लिए बीजेपी को मशक्कत करनी पड़ी थी और अमित शाह के साथ दुष्यंत चौटाला के साथ बैठक हुई, जिसके बाद राज्य में सरकार बनाने का रास्ता साफ हुआ था.

झारखंड में रघुवर दास नहीं कर सके कमाल

झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी थी और राज्य की 81 सीटों में उसे केवल 25 पर संतोष करना पड़ा था. झारखंड मुक्ति मोर्चा को 30 और कांग्रेस को 16 सीटें हासिल हुई थीं. वहीं राजद को एक सीट मिली थी. इस तरह झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद ने मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी. 10 सीटें अन्य के खाते में गई थी. मुख्यमंत्री रघुवर दास कोई कमाल नहीं दिखा पाए थे और बीजेपी हार गई थी.

आंध्र में खाता भी नहीं खुल पाया बीजेपी का

आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में एनडीए को बड़ा झटका लगा. बीजेपी ने वहां पवन कल्याण की पार्टी जनसेना पार्टी से गठबंधन किया था, जिसे केवल एक सीट से संतोष करना पड़ा था. राज्य की 175 विधानसभा सीटों में से वाईएसआर कांग्रेस ने 151 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि तेलुगुदेशम को महज 23 सीटों से संतोष करना पड़ा था.

अरुणाचल प्रदेश में खिल गया था कमल

अरुणाचल प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनावों में मोदी लहर साफ नजर आया और बीजेपी वहां सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. 60 सीटों वाले विधानसभा में बीजेपी ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

ओडिशा में नवीन पटनायक का जादू बरकरार

ओडिशा की बात करें तो वहां नवीन पटनायक के खिलाफ बीजेपी कोई खास कमाल नहीं दिखा सकी थी. राज्य की कुल 146 सीटों पर हुए चुनाव में से बीजेपी को केवल 23 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि सत्ताधारी बीजू जनता दल के खाते में 112 सीटें गई थीं. कांग्रेस को केवल 9 सीट पर जीत हासिल हुई थी. अन्य को 2 सीटें मिली थीं.

सिक्किम में न बीजेपी और न ही कांग्रेस

सिक्किम की बात करें तो वहां 2019 में हुए चुनाव में 25 साल से सत्ता में काबिज पवन कुमार चामलिंग की पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को हार का सामना करना पड़ा और मुख्य विपक्षी दल सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को जीत हासिल हुई. चामलिंग की पार्टी को कुल 32 में से 15 सीटें ​मिलीं तो सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को 17 सीटें मिलीं और बहुमत के लिए भी 17 सीटें ही चाहिए थी. यहां न बीजेपी का जोर चलता है और न ही कांग्रेस का.

बिहार में सबसे अच्छा प्रदर्शन फिर भी सीएम नहीं

2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सबसे अच्छा प्रदर्शन तो किया पर वह राजद से एक सीट कम हासिल कर पाई. नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के साथ गठबंधन था, जिसे केवल 43 सीटें ही नसीब हो पाई. राजद को 75, बीजेपी को 74 सीट ​मिलीं और बाकी सीटें अन्य के खाते में चली गईं. यहां गठबंधन की मजबुरी के चलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बने थे और अधिक सीट होने का बीजेपी को कोई फायदा नहीं मिला था.

बीजेपी के लिए दिल्ली में केजरीवाल बने पहेली

2020 की शुरुआत में ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए थे. चुनावों में बीजेपी को कोई खास फायदा नहीं हुआ और आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के चेहरे के दम पर 62 सीटों पर दर्ज की थी. कुल 70 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को केवल 8 सीटों से संतोष करना पड़ा था. 2015 में बीजेपी को यहां कुल 3 सीटें ही मिली थीं.

बंगाल में चल गया ममता दीदी का जादू

उसके बाद सबसे चर्चित रहा पश्चिम बंगाल का चुनाव. 2021 में हुए इस चुनाव में पीएम मोदी और ममता बनर्जी का मुख्य मुकाबला था. बीजेपी ने जीत के बड़े—बड़े दावे किए और तृणमूल कांग्रेस में जमकर तोड़फोड़ मचाई पर यह मुकाबला ने ममता बनर्जी ने बड़े अंतर से जीता था. इस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 215 तो बीजेपी को केवल 77 सीटें मिली थीं. अन्य के खाते में 2 सीटें गई थीं.

असम को बचा ले गई मोदी और शाह की जोड़ी

2021 में ही हुए असम विधानसभा चुनाव में मुकाबला बीजेपी के नाम रहा था. राज्य के 126 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस और एआईयूडीएफ के गठबंधन के बाद भी बीजेपी 60 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही. कांग्रेस को महज 29 और एआईयूडीएफ को 16 सीटों पर विजय हासिल हुई. अन्य के खाते में 21 सीटें गई थीं. बीजेपी गठंधन ने यहां बहुमत की सरकार बनाई.

केरल और तमिलनाडु में बीजेपी न के बराबर

केरल विधानसभा चुनाव की बात करें तो वहां बीजेपी की मौजूदगी न के बराबर है. इसी तरह तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी कोई खास कमाल नहीं कर पाई. एआईएडीएमके के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने के बाद भी बीजेपी को केवल 4 सीटें ही हासिल हो पाई. वहीं पुडडुचेरी विधानसभा के 30 सीटों के लिए हुए चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए 16 सीटें जीतीं और सरकार बनाई.

यूपी समेत 5 राज्यों में देखना होगा करिश्मा

इस तरह हम देख सकते हैं कि 2019 के बाद बीजेपी राज्यों के चुनाव में कोई कमाल नहीं दिखा पाई है. 2014 के बाद बीजेपी ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए राज्य दर राज्य कई चुनाव जीते थे लेकिन 2019 के बाद ऐसा होता नहीं दिख रहा. इसका कारण यह भी हो सकता है कि अभी उन राज्यों में चुनाव हुए, जहां बीजेपी पहले से कमजोर थी. कारण चाहे जो भी हो लेकिन 2019 के बाद बीजेपी अब तक केवल असम और हरियाणा में ही अपनी सरकार बना पाई और अरुणाचल प्रदेश में कमल खिला पाई. अब देखना यह है कि उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में होने वाले चुनाव में बीजेपी क्या कमाल कर पाती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published.